बेख़बर होकर भला हम क्यों जिये आ गया तुझमें ही खपने और तुम। बेख़बर होकर भला हम क्यों जिये आ गया तुझमें ही खपने और तुम।
हवा अपनी मदहोशी में, ज़ब दुपट्टा उड़ा जाती है ऐसे आलम में, वो लड़की बहुत याद आती है ! हवा अपनी मदहोशी में, ज़ब दुपट्टा उड़ा जाती है ऐसे आलम में, वो लड़की बहु...
मैं भी खुद से विमुख खुद की जड़ें ढूँढने लगती हूँ ...।। मैं भी खुद से विमुख खुद की जड़ें ढूँढने लगती हूँ ...।।
उल्फत के कुछ पल उल्फत के कुछ पल
जिसके इश्क़ में पागल नैना उसी के इश्क़ में पगलाई रात; बिस्तर से जब उठी सिसकारी उठते ही यूँ खि... जिसके इश्क़ में पागल नैना उसी के इश्क़ में पगलाई रात; बिस्तर से जब उठी सिसक...
मजबूर बेबस लोगों का यहीं दो वक्त का खाना है मजबूर बेबस लोगों का यहीं दो वक्त का खाना है